मेरा सुझाव
मैं बीस वर्षों से देशहित में निम्नलिखित अपने विचारों से देशवासियों को अवगत करवाता आ रहा हूँ !
जब तक हम इन बातों पर अमल नहीं करेंगे देश का सुधार नहीं हो सकता !
मैं कई बार माननीय प्रधान मन्त्री जी को लिख चुका हूं लेकिन वही ढाक के तीन पात !
खुदगरजो इस देश को तुमने देखो कंगला कर डाला
तिरसठ साल से देश हमारा भूख गरीबी भोग रहा
उग्रवाद का रुप भयानक इक दिन एसा बरपेगा
बात समझ लो वक्त के रहते वक्त हाथ न आएगा
रोक लगा दो दस वर्षों तक शादी के इन उत्सव पर
बच्चे पैदा बन्द न होंगे देश कभी न सुधरेगा
पांच साल क्या ठेकेदारो सारी उम्र लगा देना
नसबन्दी अभियान चलाओ देश तभी कुछ सुधरेगा
बंगलादेशी या परदेसी बाहर निकालो देश से इनको
कुछ वोटो का लालच वरना नर्क बनाता जाएगा
पंडा ,मुल्ला,रागी.ईसा खेल रचाए बैठे हैं
खेल है इनका उल्टा-पुलटा देश के ठेकेदारो का
शर्म हया की सब सीमाऐं नेताओ ने तोड हैं दी
इक दूजे पे वार है करना अब जूते ओर चप्प्लों का
कानून बने इस देश मे एसा सब धर्मो पर लागू हो
बात समझ न आए, उसको देश मे हक नही रहने का
आपका
पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
खुदगरजो इस देश को तुमने देखो कंगला कर डाला
ReplyDeleteतिरसठ साल से देश हमारा भूख गरीबी भोग रहा
'काव्य-रचना' में व्यक्त विचार
मननीय हैं ....
ReplyDelete♥
आदरणीय पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र" जी
सस्नेहाभिवादन !
बंगलादेशी या परदेसी बाहर निकालो देश से इनको
कुछ वोटों का लालच वरना नर्क बनाता जाएगा
बहुत महत्वपूर्ण हैं आपके विचार …
लेकिन , बेशर्म लीडर सुनें तब कोई हल निकले …
अच्छी रचना के लिए बधाई !
मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
जनाब दानिश जी
ReplyDeleteसादर
आपका तहे दिल से शुक्रिया
प्रिय राजेन्द्र स्वर्णकार जी
सादर
परिवार सहित सदा सुखी रहो
आपका स्नेह सर्वपल्लीए है
आज़र
उम्दा रचना. देश हित में कविता का सफ़र जारी रखें.शुक्रिया,धन्यवाद.
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