Saturday, May 21, 2011

चर्चा मंच: "साथियों को पहुँचे मेरा प्यार भरा सलाम " (चर्चा मंच-519)


राज दुलारे


मम्मी-पापा का तू राजा

दोनों का है कहना माने
आज करेंगे सैर-स्पाटा
ले चलते हैं तुझे घुमाने

चुप हो जा तू मेरे बच्चे
आजा मेरे राज दुलारे
रोना अच्छी बात नहीं है
जो कहता है ले दूं प्यारे

इतने सारे सुंदर-सुंदर
खेल-खिलोने तेरे पास
और भी तुझ को ले देता हूँ
धरती ,अम्बर, चाँद, सितारे

आज्ञाकारी अच्छा बच्चा
जल्दी आ स्नान तू कर ले
स्कूल नहीं क्या जाने तूने
मम्मी तेरी तुझे पुकारे

बस्ते में जल्दी से रख ले
पुस्तक,कापी, पैन्सिल, पैन
बस भी लेने आ गई तुझको
बस वाला भी हार्न मारे


पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र "