यूं मुस्करा तुम मिले इतने दिनो के बाद
आएं हैं दिन बहार के इतने दिनो के बाद
शौहरत कि चाह लोगों को उर्यां थी कर गई
लेकिन वो राज़ अब खुले इतने दिनो के बाद
सहरा में क्या जमाल है चंदन के पेड़ पर
शाखों पे फ़ूल हैं खिले इतने दिनो के बाद
चंचल हवाएं शोख-सीं पानी पे तिर गईं
थे दो किनारे यूं मिले इतने दिनो के बाद
"आज़र" तमाम रात मैं सोया हूं चैन से
सपने सुहाने आए थे इतने दिनो के बाद