Wednesday, July 27, 2011

यूं मुस्करा तुम मिले

यूं मुस्करा तुम मिले इतने दिनो के बाद
आएं हैं दिन बहार के इतने दिनो के बाद

शौहरत कि चाह लोगों को उर्यां थी कर गई
लेकिन वो राज़ अब खुले इतने दिनो के बाद

सहरा में क्या जमाल है चंदन के पेड़ पर
शाखों पे फ़ूल हैं खिले इतने दिनो के बाद

चंचल हवाएं शोख-सीं पानी पे तिर गईं
थे दो किनारे यूं मिले इतने दिनो के बाद

"आज़र" तमाम रात मैं सोया हूं चैन से
सपने सुहाने आए थे इतने दिनो के बाद