Wednesday, June 9, 2010

ghazal

किसको फुर्सत है दुनिया में, कौन बुलाने आएगा
बात-बात पर रुठोगे तो , कौन मनाने आएगा

जब भी मैं आवाज हूं देता, आनाकानी करते हो
मेरे बाद बता दो तुमको , कौन बुलाने आएगा

गंगा जी को मां कहते सब, जल भी गंदा करते है
पाप धुलेंगे कैसे यारो , कौन नहाने आएगा

इस बस्ती को छोड चला मैं, तू जाने और तेरा काम
सांकल तेरे दरवाजे की, कौन बजाने आएगा

इन अंध्यारी गलियों को, इक मैं ही रौशन करता था
दिन ढलते ही दीपक "आज़र" , कौन जलाने आएगा